मध्यप्रदेश की सियासत / सुप्रीम कोर्ट ने कहा- राज्यपाल के पास फ्लोर टेस्ट का आदेश देने की शक्ति, जब सरकार ने बहुमत खो दिया तो यह जरूरी था

मध्यप्रदेश में पिछले महीने कमलनाथ सरकार गिरने और राज्यपाल लालजी टंडन द्वारा फ्लोर टेस्ट का आदेश देने पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को टिप्पणी की। जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि राज्यपाल के पास सरकार को विधानसभा में बहुमत परीक्षण का आदेश देने की शक्ति है। जब सरकार ने बहुमत खो दिया तो यह बहुत जरूरी था। हमने 68 पेज का फैसला दिया है, इसमें राज्यपाल की संवैधानिक शक्तियों को लेकर विस्तार से बताया गया है।


प्रदेश में सियासी ड्रामे की शुरुआत 9 मार्च को हुई थी। जब कुछ कांग्रेस और निर्दलीय विधायक गुड़गांव के एक रिसॉर्ट में जाकर ठहर गए थे। तब कांग्रेस ने सरकार गिराने के लिए भाजपा पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया। इसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। उनके खेमे के करीब 22 विधायक कमलनाथ सरकार के रवैये से नाराज होकर बेंगलुरु चले गए। उन्होंने अपने इस्तीफे राज्यपाल और स्पीकर को भेज दिए थे। इसबीच कमलनाथ ने बागी हुए प्रदेश के 6 मंत्रियों की सदस्यता खत्म करने की सिफारिश राज्यपाल की की थी। इनके इस्तीफे बाद में विधानसभा स्पीकर ने मंजूर कर लिए थे।


17 दिन के सियासी ड्रामे के बाद कांग्रेस सरकार गिरी थी


उधर, कांग्रेस नेता कई दिन तक बेंगलुरु के रिसॉर्ट में ठहरे विधायकों को मनाने की कोशिश करते रहे। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया, लेकिन मुख्यमंत्री ने असंवैधानिक करार देते हुए इससे इनकार कर दिया। बाद में भाजपा और कांग्रेस नेताओं की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में फ्लोर टेस्ट पर सुनवाई हुई और कोर्ट ने 20 मार्च को शाम 5 बजे तक इसकी प्रक्रिया पूरी कराने का आदेश दिया था। इसबीच, स्पीकर ने बेंगलुरु में ठहरे 22 विधायकों के इस्तीफे मंजूर कर लिए और कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई थी। कमलनाथ ने फ्लोर टेस्ट से 4.30 घंटे पहले ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस्तीफे का ऐलान कर दिया था।


भाजपा का पलड़ा भारी
कांग्रेस के विधायकों के इस्तीफे के बाद अब भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है। उसके 106 विधायक हैं। वहीं, कांग्रेस के पास सिर्फ 92 विधायक हैं। निर्दलीय और बसपा-सपा के 7 विधायक भी कांग्रेस के साथ हैं।


विधानसभा की मौजूदा स्थिति


मध्यप्रदेश के 2 विधायकों के निधन के बाद कुल सीटें = 228
इस्तीफा देने वाले कांग्रेस के विधायक = 22
22 विधायकों के इस्तीफे मंजूर होने के बाद सदन में सीटें (228-22) = 206
इस स्थिति में बहुमत के लिए जरूरी = 104
भाजपा = 107 (बहुमत से 3 ज्यादा)
*कांग्रेस+ = 99 (बहुमत से 5 कम)
*कांग्रेस के 92 विधायक रह गए हैं।  



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